सिर्फ कश्मीर नहीं, कश्मीरी भी भारत का हिस्सा हैं – एस.डी.पी.आई.सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया – एस.डी.पी.आई. के राष्ट्रीय अध्यक्ष एम के फैजी ने कश्मीरियों की दुर्दशा पर दुख व्यक्त करते हुए लॉकडाउन के दौरान कश्मीर में हुए बर्बर सैन्य अत्याचारों पर गहरा एतराज जताया है। कश्मीर की सरज़मी ही केवल भारत की नहीं है बल्कि कश्मीरी भी भारतीय हैं। एम के फ़ैज़ी ने कहा कि धार्मिक आस्था के आधार पर कश्मीरियों को अलग-थलग करके उनको मारने और उत्पीड़न करने से इस क्षेत्र में कभी शांति नहीं आ सकती बल्कि हालात बद से बदतर ही होंगे।अगस्त 2019 में धारा 370 और 35ए को अलोकतांत्रिक और अनैतिक तरीके से हटाकर जम्मू और कश्मीर को 2 केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के बाद केंद्र सरकार ने कश्मीर को पूरी तरह बंद कर दिया था। अंतर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करते हुए इंटरनेट पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया जिससे कश्मीरी नागरिकों का बाहरी दुनिया से पूरा संपर्क टूट गया. कश्मीर की दयनीय स्थिति देश और दुनिया ना देख पाए इसलिए बाहरी लोगों के आने पर रोक लगा दी. प्रशासनिक हत्याएं, शारीरिक उत्पीड़न-अत्याचार और बलात्कार जैसी घटनाएं अब कश्मीर में आम बात हो गयीं हैं.भारत के गृह मंत्री अमित शाह का ये दावा कि धारा 370 और 35ए हटने से घाटी में शांति बहाली हो जाएगी बिलकुल गलत है। कश्मीर में इस वक्त अघोषित सैन्य शासन है। सेना के निर्मम अत्याचारों ने मानवीय सभ्यता की सभी हदें पार कर दी हैं।अपने दादा के शव पर बैठे 3 साल के बच्चे की दिल दहलाने वाली तस्वीर सोशल मीडिया पर लगातार घूम रही है जिसने सारी दुनिया में गहरा रोष पैदा कर दिया है। सरकार और सेना का कहना है कि उन्होंने बच्चे को उन आतंकियों से बचाया जिन्होंने उसके दादा को गोली मार दी थी। हालांकि मृतक के परिवार जन और चश्मदीद सेना के इस दावे को खारिज रहे हैं। उनका कहना है कि सेना के जवानों ने एक आम नागरिक को उसकी कार से घसीट कर बाहर निकाला, गोली मारी और बच्चे को बिठाकर तस्वीर खींची और इस हत्या का इल्ज़ाम आतंकियो पर थोप दिया।एसडीपीआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष एमके फैजी ने मांग करते हुए कहा की कश्मीर में सेना द्वारा हो रहे अमानवीय अत्याचार तुरंत खत्म होने चाहिए और मानव अधिकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं की स्वतंत्र टीम कश्मीर में वास्तविक जमीनी हालातों का जायजा लेकर रिपोर्ट पेश करें।