विकास दुबे के फर्जी एनकाउंटर के तथ्य पेश करे सरकार – एसडीपीआई
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव मोहम्मद शफी ने उत्तर प्रदेश में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के अवैधानिक एनकाउंटर की कड़े शब्दों में निंदा की है। प्रशासन से मांग करते हुए उन्होंने कहा कि निष्पक्ष न्यायिक जांच बिठाकर इस दुर्दांत अपराधी के फर्जी एनकाउंटर के असल तथ्य पेश करें सरकार। अजय बिष्ट उर्फ योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में जंगलराज कायम कर दिया है। आर एस एस के महंत द्वारा शासित उत्तर प्रदेश में मानव अधिकार, कानून के राज, न्यायिक व्यवस्था, मुकदमों और न्याय के लिए कोई स्थान नहीं रह गया है।
एक सप्ताह पूर्व 8 पुलिस अधिकारियों की हत्या करके फरार कुख्यात अपराधी दुबे ने उज्जैन पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था। पुलिस का कहना है कि दुबे को उज्जैन से कानपुर ले जा रहे काफिले का एक वाहन शुक्रवार सुबह पलट गया। दुबे ने एक घायल पुलिसकर्मी से पिस्तौल छीन कर पुलिस पर गोलियां चला दी। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने विकास दुबे को मार गिराया। सवाल पैदा होता है कि एक अपराधी जो पहले ही आत्मसमर्पण कर चुका था वो भागने की कोशिश क्यों करेगा? इस मनघड़ंत पटकथा पर विश्वास करना मुश्किल है और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी भी इस पर सवालिया निशान लगा रहे हैं।
काफिले के साथ चल रही मीडिया की रिपोर्ट सीधा इशारा करती है कि ये ‘एनकाउंटर’ मंचित था। मीडिया के अनुसार एनकाउंटर से ठीक पहले काफिले के आसपास वाहनों की आवाजाही रोक दी गई थी। सड़क पर बैरिकेड लगाकर पुलिस ने अचानक वाहनों को रोक दिया। चैनल के संवाददाताओं की गाड़ियों को जांच के बाद जाने दिया। रिपोर्ट के अनुसार तब तक काफिले की एक गाड़ी पलट चुकी थी और एनकाउंटर को अंजाम दिया जा चुका था। विकास दुबे के पांच साथियों को भी पुलिस ने अलग-अलग एनकाउंटर में मार गिराया।
बताया जा रहा है कि कई अपराधों में लिप्त विकास दुबे को पिछले दो दशकों में कई राजनैतिक दलों का समर्थन मिलता रहा। विकास दुबे को खत्म कर उसके साथ राजनेताओं की मिलीभगत को भी हमेशा के लिए दफन कर दिया गया।
लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता में पूरी आस्था रखने वालों को उत्तर प्रदेश में कानून का राज स्थापित करने के लिए आगे आना चाहिए। मोहम्मद शफी ने प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि भाजपा समेत कई राजनैतिक दलों से साठगांठ रखने वाले इस कुख्यात दुर्दांत अपराधी की गैरकानूनी हत्या कि सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के वर्तमान जज द्वारा न्यायिक जांच बिठाकर इस घटना के रहस्यों से पर्दा उठाया जाए।
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