भारत की साझा विरासत को मिटाना बंद करें: एनसीईआरटी के बदलावों पर एसडीपीआई का कड़ा विरोध
भारत की साझा विरासत को मिटाना बंद करें:
एनसीईआरटी के बदलावों पर एसडीपीआई का कड़ा विरोध
नई दिल्ली 28 अप्रैल 2025: सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) ने एनसीईआरटी द्वारा हाल ही में कक्षा 7 की सामाजिक विज्ञान की किताबों में किए गए संशोधनों की कड़ी निंदा की है। खासतौर पर “धरती कैसे पवित्र बनती है” (“How the Land Becomes Sacred”) नामक नए अध्याय की शुरुआत और मुग़ल तथा दिल्ली सल्तनत से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों को हटाए जाने पर पार्टी ने गंभीर आपत्ति जताई है। एसडीपीआई का कहना है कि यह बदलाव भारत के बहुलतावादी इतिहास को मिटाने और शिक्षा के भगवाकरण की सुनियोजित कोशिश है।
नए अध्याय मुख्य रूप से हिंदू तीर्थ स्थलों को केंद्र में रखते है, जबकि अन्य धर्मों के पवित्र स्थलों को नजरअंदाज किया गया है, जो देश की धार्मिक विविधता को कमजोर करने वाला कदम है। वहीं, मुग़ल और दिल्ली सल्तनत के योगदान को पाठ्यक्रम से हटाना, मुस्लिम शासकों की ऐतिहासिक उपलब्धियों को हाशिये पर डालने जैसा है, जो संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता और समानता के मूल्यों के खिलाफ है।
एनसीईआरटी द्वारा यह तर्क देना कि ऐतिहासिक जटिलताओं से नकारात्मकता फैलती है, पूरी तरह से निराधार है। शिक्षा का उद्देश्य जटिलताओं से भागना नहीं, बल्कि छात्रों में सोचने-समझने की क्षमता विकसित करना होना चाहिए। इसके अलावा, “मेक इन इंडिया” जैसी सरकारी योजनाओं को इतिहास के पाठों में जोड़ना, शिक्षा का राजनीतिकरण करने और सत्ताधारी दल के एजेंडे को बढ़ावा देने का स्पष्ट संकेत है।
एसडीपीआई मांग करती है कि हटाई गई ऐतिहासिक सामग्री को तुरंत बहाल किया जाए और सभी धर्मों का संतुलित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए। पार्टी ने एक पारदर्शी और विविध विशेषज्ञों की समिति द्वारा पाठ्यक्रम की समीक्षा कराने की आवश्यकता पर जोर दिया है, ताकि शिक्षा को वैचारिक हस्तक्षेप से बचाया जा सके।
एसडीपीआई ने सभी नागरिकों से अपील की है कि वह इन प्रतिगामी बदलावों का विरोध करें और अपने बच्चों की शिक्षा की निष्पक्षता और गरिमा की रक्षा के लिए एकजुट हों।
बी.एम. कांबले
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया

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