नेहा सिंह राठौर पर देशद्रोह का मामला: विरोध की आवाज़ से डरती बीजेपी
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) ने भोजपुरी लोकगायिका नेहा सिंह राठौर पर दर्ज किए गए देशद्रोह के मुकदमे की कड़ी निंदा की है। पार्टी का कहना है कि यह मामला उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार द्वारा की गई एक सोची-समझी राजनीतिक कार्रवाई है, जिसका मकसद है, विरोध की आवाजों को दबाना और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को खत्म करना है।
नेहा सिंह राठौर ने 23 अप्रैल को X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने सवाल उठाया कि कैसे बीजेपी पहलगाम आतंकी हमले का इस्तेमाल बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ के लिए कर रही है। उन्होंने इस मामले की तुलना 2019 के पुलवामा हमले से भी की। यह सवाल एक जागरूक नागरिक की जिम्मेदारी को दर्शाता है, न कि किसी अपराध को। लेकिन इसके जवाब में सरकार ने डराने की नीति अपनाई और उनके खिलाफ देशद्रोह जैसी गंभीर धारा लगा दी।
SDPI का मानना है कि यह घटना केवल नेहा सिंह राठौर पर हमला नहीं है, बल्कि देश में हर उस नागरिक की आवाज़ पर हमला है, जो सवाल पूछना चाहता है। यह मामला यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार में लगातार हो रहे उन हमलों की कड़ी है, जिसमें पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और कलाकारों को निशाना बनाया जा रहा है।
पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव यास्मीन फारूकी ने कहा, “बीजेपी एक लोकगायिका से डर रही है, क्योंकि उसकी आवाज जनता की आवाज बन गई है। यह देशद्रोह नहीं, लोकतंत्र है। हम सरकार से मांग करते हैं कि नेहा सिंह राठौर पर दर्ज मुकदमा तुरंत वापस लिया जाए और संविधान में दी गई अभिव्यक्ति की आज़ादी का सम्मान किया जाए।”
SDPI यह स्पष्ट करती है कि देश में असहमति और आलोचना को देशद्रोह बताना लोकतंत्र के खिलाफ है। सरकार को चाहिए कि वह डर और दमन के रास्ते को छोड़कर संवाद और संविधान के रास्ते पर चले।
यासमीन फ़ारूक़ी
राष्ट्रीय महासचिव
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI)

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