प्रदेश महासचिव अशफाक हुसेन ने सरकार के नोटबन्दी के फैसले की कडे शब्दों में निन्दा करते हुए कहा कि एनडीए सरकार के काले धन को लगाम लगाने के लिए विमुद्रीकरण के फैसले को खतरनाक और आम नागरिकों को परेशानी में डालने वाला क़रार दिया है। हालांकि यह तथाकथित ‘सर्जिकल स्ट्राइक‘ काले धन के समुद्र की बड़ी मछलियों को पकड़ने के लिए नाकाफी है जो कि विदेशों में या रियल स्टेट में काला धन निवेश कर उस पर कुंडली मार कर बैठे हैं। गौरतलब है कि यह क़दम महज़ छोटे व्यपारियों को फंसाने वाला ही प्रतीत होता है। इसके अलावा इस फैसले से अर्थव्यवस्था पर तो प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा ही साथ ही 40 प्रतिशत वह छोटे और मध्यम कारोबारी जिनका रोज़मर्रा का कारोबार नकद पर चलता है वही सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। सरकार के इस फैसले से सबसे ज्यादा असर देश के दिहाडी मजदूरों, किसानों, गरीबों व आमजन व महिलाओं पर पडा है बडे नोटों के बन्द होने से घर चलाना बहुत मुश्किल साबित हो रहा है।
Demonetization turns common people’s lives into hell – SDPI Kota
काले धन पर लगाम के लिए विमुद्रीकरण से आमजन, किसान, दिहाडी मजदूर सबसे ज्यादा प्रभावितः एसडीपीआई
16 नवम्बर 2016 कोटा: सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) की कोटा इकाई की और से आज दिनांक 16 नवम्बर 2016 को एयरोड्राम सर्किल पर विरोध प्रदर्शन कर मोदी का पुतला जलाकर सरकार के नोटबन्दी के फैसलें के खिलाफ व आमजन, गरीब, दिहाडी मजदूर, किसान को हो रही समस्याओं के समाधान की मांग की गई। इसके बाद जिला कार्यकारिणी के पदाधिकारीगण जिला कलेक्ट्रेट पहुंचकर अतिरिक्त जिला कलेक्टर के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति महोदय के नाम ज्ञापन दिया गया।
काले धन व भ्रष्टाचार पर कोई भी कड़ी कार्यवाही स्वागत योग्य है लेकिन बड़े धनवानों पर कोई ‘सर्जिकल स्टाइक‘ किए बिना इस तरह की कार्यवाही आगे चलकर नुकसान देह साबित होगी। काला धन जमाखोरो के पास सिर्फ 500 या 1000 के ही नोटों में शायद नहीं हो सकता है, वह डॉलर, सोने (स्वर्ण) अथवा भारत या विदेशों में प्रॉपर्टी के रूप में भी हो सकता है। जिन पर इस तरह की विमुद्रीकरण का कोई खास असर पड़ने वाला नहीं है। लिहाज़ा सरकार के इस बेतुके फैसले से मुद्रास्फीति लगातार बढ़ती रहेगी जिसके चलते अर्थिक असंतुलन और अधिक बढ़ेगा।
जिला अध्यक्ष जफर चिश्ती ने अपने बयान में उन्होंने कहा कि यह पहला मौका नहीं है जबकि देश में नोटों का विमुद्रीकरण किया गया है इससे पहले 1946 और 1978 में पिछली सरकारे विमुद्रीकरण करके बड़े नोटों को बंद कर चुकी हैं। जिसका आमजन पर कोई खास असर नहीं पड़ा था। क्योंकि इससे पहले लोगों ने बमुश्किल ही इतने बड़े नोटों को देखा था। वर्तमान की राजग सरकार का यह कदम काले धन के संकट के लिए नहीं बल्कि काले धन को बढ़ावा देने में मदद करेगा और आम आदमी पर कई तरह के बोझ बढ़ाने वाला ही बेहद दुखद फैसला साबित होगा। दूसरी तरफ यह फैसला बड़े कॉरपोरेट को ऋण देने के
कारण दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुके बैंको को जनता की गाढ़ी कमाई से इस तरह डूबने से बचाने वाला प्रतीत होता है। विमुद्रीकरण महज़ काले धन को रोकने के लिए एक बहलाने वाले जुमले के अलावा कुछ नहीं इस क़दम से काले धन में और इज़ाफा होगा। जो कि बेहद अफसोसनाक और दुखद है।
जिल महासचिव ने अपने बयान में कहा है आज देश का गरीब, दिहाडी मजदूर, किसान बैंको व एटीएमों की लाईनों में लगा हुआ है कही कोई बडा नेता, उद्योगपति किसी लाईन में नजर नहीं आता इससे साफ जाहिर होता है कि सरकार इन लोगो को पकड पाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है जिनके पास विदेशों व देश में कालाधन है। साथ ही चुनाव आयोग द्वारा काले धन के राजनैतिक गठजोड़ का ख़ात्मा करने के लिए सुझावों को लागू किया जाना चाहिए। यह बात भी साबित हो चुकी है कि हमारे देश में काले धन के व्यापारी खुले तौर पर खुद के लिए क़ानूनों का प्रयोग और राजनैतिक इस्तेमाल आसानी से सरकार की शरण में ही करते हैं। इस विरोध प्रदर्शन के माध्यम से राष्ट्रपति महोदय के नाम ज्ञापन भेजकर निम्न मांगे की गई जो है-
1. एनडीए सरकार के उचित व उपयुक्त व्यवस्था के बिना विमुद्रीकरण (नोटबन्दी) का कदम निंदनीय है जिससे आमजन संकट में है सरकार इस फैसले पर दुबारा मंथन करें।
2. पुराने नोटों (500 व 1000 रूपयें) की वैद्यता सरकारी सेवाओं, पेट्रोल पम्पों, रेलवे स्टेशनों, अस्पतालों व पब्लिक सेक्टर में आमजन की परेशानियों को देखते हुए 31 दिसम्बर तक बढाई जाए।
3. बैंकों व एटीएमों में नए नोटो को पर्याप्त मात्रा में मुहैया कराई जाए।
4. 500 व 1000 रूपये के नोटों को बदलवाले Exchange) और निकासी (Withdrawals) की तय सीमा में विस्तार किया जाए।
5. स्विटजरलैण्ड और दूसरे देशों में जमा कालाधन को लाने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए।
6. देश में लंबित भ्रष्टाचार के मामलों का शीघ्र निपटारा किया जाए।
इस विरोध्र प्रदर्शन में जिला उपाध्यक्ष इमरान बाबा, जिला सचिव राजा वारसी, जावेद हुसैन, जिला कोषाध्यक्ष हाजी बून्दू साहब, जिला सदस्य एजाज भाई, जाकिर हुसैन, साजिद हुसैन, आशिक पठान सहित कैडर्स व कार्यकर्ता मौजुद थे।
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