मोदी द्वारा मुस्लिम युवाओं का अपमान निन्दनिये है, एसडीपीआई माफ़ी की मांग करती है
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान की कड़ी निंदा करती है जिसमें उन्होंने कहा कि वक़्फ़ संपत्तियों के गलत इस्तेमाल की वजह से मुस्लिम युवाओं को साइकिल पंचर जैसी छोटे काम करने पड़ते हैं। यह बात न सिर्फ़ तथ्यहीन है बल्कि अपमानजनक भी है, जो मुसलमानों के खिलाफ़ गलत धारणाएँ फैलाती है। एक विविधता भरे देश के प्रधानमंत्री से इस तरह की भाषा बिलकुल भी स्वीकार नहीं की जा सकती।मोदी जी ने जो वक़्फ़ प्रॉपर्टी से जुड़ी समस्याओं को मुसलमानों की सामाजिक और आर्थिक परेशानियों का एकमात्र कारण बताया है, वह सच्चाई को बहुत ही गलत तरीके से पेश करता है। मुसलमानों को जिन असली समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है—जैसे बेरोजगारी, शिक्षा की कमी, और भेदभाव—उनका समाधान ऐसे बयानों से नहीं, बल्कि ठोस और समावेशी नीतियों से ही हो सकता है।
मोदी जी ने यह भी कहा कि कांग्रेस की 2013 की वक़्फ़ एक्ट में बदलावों की वजह से ज़मीन माफिया को फायदा हुआ, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि वक़्फ़ संपत्तियों का गलत प्रबंधन तो पहले की सरकारों के साथ-साथ उनकी खुद की पार्टी के शासनकाल में भी होता रहा है। यह बयान सिर्फ़ राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश लगता है।प्रधानमंत्री का “पंचरवाला” वाला बयान बेहद आपत्तिजनक है। यह उन लाखों मुस्लिम मेहनतकश लोगों के संघर्ष का मज़ाक उड़ाता है, जो आज भी भेदभाव और गरीबी का सामना कर रहे हैं।
सच्चाई यह है कि सच्चर कमेटी के अनुसार, भारत में 31% मुसलमान गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं, जबकि राष्ट्रीय औसत 22% है। इन हालातों को सुधारने की बजाय प्रधानमंत्री जी ऐसे बयान देकर एक पूरे समुदाय को अपमानित कर रहे हैं।इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पार्टी पर मुस्लिम प्रतिनिधित्व का सवाल उठाया, जबकि उनकी खुद की पार्टी ने 2024 के चुनावों में एक भी मुस्लिम सांसद नहीं उतारा। यह दोहरे मापदंड को दर्शाता है।SDPI प्रधानमंत्री से उनके इन असंवेदनशील बयानों पर तुरंत माफ़ी माँगने की मांग करती है और उनसे अपील करती है कि वे ऐसे शब्दों का प्रयोग करें जो देश को जोड़ें, तोड़ें नहीं। भारत की तरक्की तभी संभव है जब हर नागरिक को बराबरी के मौके मिलें। आज देश में बेरोजगारी 7.8% है, और शिक्षा में भी बहुत अंतर है।
इन मुद्दों पर काम करने की ज़रूरत है, न कि ऐसे बयानों से ध्यान भटकाने की।SDPI समाजिक न्याय के लिए लड़ती रहेगी और सरकार को हर उस नीति और बयान के लिए ज़िम्मेदार ठहराएगी जो देश के नागरिकों की गरिमा को ठेस पहुँचाता है।
बी.एम. कांबले
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI)

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