ट्रम्प अपनी धमकियों से दुनिया को विनाश की ओर ले जा सकते हैं

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के हाल के दो बयान बेहद गंभीर हैं। यदि उनकी गैर-जिम्मेदाराना हरकतों पर रोक नहीं लगी, तो इसका परिणाम पूरी दुनिया के लिए विनाशकारी हो सकता है।

सबसे पहले, उन्होंने घोषणा की कि उन्होंने अमेरिकी रक्षा विभाग (पेंटागन) को 33 साल बाद फिर से परमाणु हथियारों का परीक्षण शुरू करने का आदेश दिया है। वर्ष 1992 के बाद से परमाणु परीक्षण बंद थे। उस समय, अमेरिका के राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन और सोवियत संघ के नेता मिखाइल गोर्बाचेव के नेतृत्व में विश्व शक्तियों के बीच लंबी बातचीत के बाद इन परीक्षणों पर रोक लगाई गई थी।

परमाणु हथियारों की अंधी दौड़ को नियंत्रित करने के लिए कई महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय समझौते किए गए थे, जैसे—
एनपीटी (परमाणु अप्रसार संधि, 1968), सीटीबीटी (समग्र परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि, 1996), और न्यू स्टार्ट संधि (2010)।
ये कदम इसलिए उठाए गए थे क्योंकि 1945 में जापान पर परमाणु बम गिराए जाने के बाद दुनिया एक भयावह हथियारों की दौड़ में फँस गई थी। अमेरिका के बाद सोवियत संघ, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों ने भी परमाणु हथियार विकसित किए। बाद में भारत, पाकिस्तान, इज़राइल और उत्तर कोरिया जैसे अन्य देशों ने भी परमाणु परीक्षण किए। इसी खतरनाक दौड़ को रोकने के लिए ये अंतरराष्ट्रीय समझौते किए गए थे।

अब इनमें से कई समझौतों पर समीक्षा होने वाली है और नए समझौते किए जाने हैं ताकि दुनिया को अधिक सुरक्षित बनाया जा सके। उदाहरण के लिए, अमेरिका और रूस के बीच न्यू स्टार्ट संधि अगले वर्ष फरवरी में समाप्त हो रही है और एनपीटी की भी अगले वर्ष समीक्षा होनी है।

ऐसे नाजुक समय में ट्रम्प द्वारा परमाणु परीक्षण दोबारा शुरू करने का आदेश बेहद गैर-जिम्मेदाराना है, विशेष रूप से तब जब रूस और चीन भी अपने परमाणु हथियारों को और घातक बनाने में लगे हुए हैं। इस कदम की पूरी दुनिया को कड़ी निंदा करनी चाहिए।

ट्रम्प का दूसरा बयान भी उतना ही खतरनाक है, जिसमें उन्होंने अफ्रीकी देश नाइजीरिया में सैन्य हस्तक्षेप की धमकी दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि नाइजीरिया में ईसाइयों को निशाना बनाया जा रहा है और कहा कि अमेरिकी सेना वहाँ “बंदूकों के साथ हमला करेगी और आतंकवादियों को पूरी तरह खत्म कर देगी।”

उन्होंने यह भी कहा, “अगर हम हमला करेंगे, तो यह तेज, खतरनाक और निर्णायक होगा, ठीक वैसे ही जैसे ये आतंकवादी हमारे प्यारे ईसाइयों पर हमला करते हैं।”

यह अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति द्वारा किया गया घोर सांप्रदायिक और भड़काऊ बयान है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि नाइजीरिया जैसे विकासशील देश, जहाँ विभिन्न धर्मों के लोग शांति के साथ रहते हैं, उसे बिना किसी सबूत के इस तरह धमकाया जा रहा है।

नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला अहमद टीनुबू ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि उनका देश धार्मिक सद्भाव बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स ने भी स्पष्ट किया है कि बोको हराम जैसे आतंकी संगठनों द्वारा की गई हिंसा का सबसे बड़ा शिकार खुद मुसलमान समुदाय है, न कि ईसाई या अन्य अल्पसंख्यक।

इसलिए यह स्पष्ट है कि ट्रम्प की धमकी का असली कारण कुछ और हो सकता है—संभवतः नाइजीरिया के विशाल प्राकृतिक संसाधन, विशेष रूप से उसका तेल भंडार।

इलियास मुहम्मद थुम्बे
राष्ट्रीय महासचिव
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया