एलआईसी–अडानी सौदे पर सरकारी दबाव की जांच के लिए एसडीपीआई ने संसद से जांच की मांग की

सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एडवोकेट शरफुद्दीन अहमद ने गहरी चिंता व्यक्त की है कि मोदी सरकार ने कथित रूप से भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को अडानी समूह में लगभग 3.9 अरब डॉलर का निवेश करने का निर्देश दिया, जबकि उस समय कंपनी पर गंभीर विवाद और पारदर्शिता को लेकर सवाल उठ रहे थे।

समाचार रिपोर्टों के अनुसार, वित्त मंत्रालय और संबंधित विभागों के अधिकारियों ने ऐसी योजना तैयार की जिसके तहत एलआईसी की निधियों को अडानी समूह के बांड और इक्विटी में निवेश किया गया, जबकि उस समय यह कॉरपोरेट समूह शेयर हेराफेरी और लेखा अनियमितताओं के आरोपों के चलते वैश्विक जांच के दायरे में था। यदि यह आरोप सही हैं, तो यह जनता के धन का खतरनाक दुरुपयोग और एक चहेते कॉरपोरेट घराने को बचाने का स्पष्ट प्रयास है, जिसमें हिंदुस्तान की जनता की मेहनत की कमाई दांव पर लगा दी गई।

एसडीपीआई का मानना है कि यह वर्तमान शासन में राजनीतिक शक्ति और कॉरपोरेट एकाधिकारों के बढ़ते गठजोड़ का स्पष्ट उदाहरण है। एलआईसी, जो करोड़ों पॉलिसीधारकों के भरोसे पर खड़ी एक सार्वजनिक संस्था है, उसे कभी भी चंद पूंजीपतियों के हित साधन का उपकरण नहीं बनाया जाना चाहिए। पार्टी ने इस कथित निर्देश की स्वतंत्र संसदीय जांच और अडानी समूह से संबंधित एलआईसी के सभी निवेशों का सार्वजनिक खुलासा करने की मांग की है।

सरकार को जवाब देना चाहिए कि क्या राष्ट्रीय संस्थानों का इस्तेमाल सत्ता के करीबी निजी समूहों को बचाने के लिए किया जा रहा है।

एडवोकेट शरफुद्दीन अहमद
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया