जल जीवन मिशन में 46% की प्रस्तावित कटौती पर एसडीपीआई ने जताई कड़ी आपत्ति , यह ग्रामीण भारत के साथ विश्वासघात है
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के राष्ट्रीय महासचिव एलियास मुहम्मद थुम्बे ने व्यय वित्त समिति (Expenditure Finance Committee) द्वारा अगले चार वर्षों में जल जीवन मिशन (JJM) की फंडिंग में 46% कटौती के प्रस्ताव की कड़ी आलोचना की है।उन्होंने कहा कि यह लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपये की भारी कटौती है, जिससे हर ग्रामीण घर तक साफ पानी पहुंचाने का मिशन 2028 तक पूरा होना मुश्किल हो जाएगा। यह भारत के करोड़ों ग्रामीण लोगों के साथ विश्वासघात है।एलियास थुम्बे ने बताया कि जल जीवन मिशन ने मार्च 2025 तक लगभग 80% काम पूरा कर लिया है, लेकिन अब भी 3.9 करोड़ घरों तक पानी पहुंचाना बाकी है। ऐसे में यह फंडिंग कटौती राज्य सरकारों पर भारी बोझ डाल देगी, खासकर पश्चिम बंगाल, झारखंड और राजस्थान जैसे राज्यों में, जहां संसाधन पहले से ही सीमित हैं।
सरकार ने इस कटौती का कारण लागत में वृद्धि और बजटीय दबाव बताया है, लेकिन यह तर्क स्वीकार नहीं किया जा सकता। रिपोर्ट के अनुसार, एक नल कनेक्शन की लागत ₹30,000 से बढ़कर ₹1,37,500 हो गई है, जो बहुत ही चिंताजनक है। ऐसे में सरकार को पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करनी चाहिए, न कि ग्रामीण जनता को इसकी सजा देनी चाहिए।उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों को पहले ही परियोजना के लिए पूरा पैसा नहीं मिल पा रहा है, जिससे वहाँ के काम रुकने की आशंका है। साफ पानी हर नागरिक का मौलिक अधिकार है, और इसे सिर्फ पैसे बचाने के नाम पर खतरे में डालना बहुत बड़ा अन्याय है।
एसडीपीआई सरकार से मांग करती है कि वह इस प्रस्ताव को तुरंत खारिज करे, जल जीवन मिशन की पूरी फंडिंग बहाल करे, और लागत में हुई बढ़ोतरी की पूरी जांच कराए।साथ ही, कम कवरेज वाले राज्यों को विशेष सहायता दी जाए और ग्रामीण समुदायों की भागीदारी को बढ़ाया जाए ताकि योजना स्थायी रूप से सफल हो सके। सरकार को चाहिए कि वह ग्रामीण भारत के स्वास्थ्य, सम्मान और आजीविका को प्राथमिकता दे, न कि अल्पकालिक बजट उपायों को।
इलियास मुहम्मद थुम्बे
राष्ट्रीय महासचिव

No Comments