कोविड मौतों का बड़ा खुलासा: 20 लाख मौतें छुपाईं गईं, बीजेपी की नाकामी उजागर
नई दिल्ली, 9 मई 2025: सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) ने हाल ही में जारी किए गए सरकारी आंकड़ों पर गहरी चिंता और रोष व्यक्त किया है, जिनसे यह खुलासा हुआ है कि वर्ष 2021 में कोविड-19 से हुई मौतों की संख्या को बहुत ही ज़्यादा कम करके बताया गया था। सरकार के अनुसार उस समय सिर्फ 3.3 लाख लोगों की जान गई थी, लेकिन अब जारी आंकड़ों से साफ हो गया है कि असल में करीब 20 लाख मौतें हुई थीं। यह चौंकाने वाला अंतर यह दिखाता है कि बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और उसके अधीन राज्य सरकारों ने किस तरह से इस महामारी की भयावहता को छुपाया और सार्वजनिक जवाबदेही से बचने की कोशिश की।
यह आंकड़े भारत सरकार के रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय द्वारा 7 मई 2025 को जारी किए गए, जो दर्शाते हैं कि मौतों को सबसे ज्यादा छुपाया गया बीजेपी शासित राज्यों में। गुजरात, जहां बीजेपी की सरकार है, वहां कोविड से होने वाली असली मौतें सरकारी आंकड़े से 33 गुना अधिक थीं, यानी करीब 2 लाख मौतें दर्ज नहीं की गईं। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में भी बड़ी संख्या में मौतें सामने नहीं आईं। गंगा नदी में तैरते शव और श्मशानों की भीड़ ने पहले ही इस सच्चाई की झलक दे दी थी, लेकिन तब सरकार ने इसे नजरअंदाज किया और इसे ‘नियंत्रित स्थिति’ बताकर प्रचारित किया।
इसके विपरीत, गैर-बीजेपी शासित राज्यों ने अधिक पारदर्शिता और संवेदनशीलता दिखाई। केरल ने सबसे कम अंतर दिखाया और महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्यों में भी सरकारी आकंड़ो और असली मौतों में ज्यादा फर्क नहीं था। यह दिखाता है कि जहां जवाबदेह और संवेदनशील शासन था, वहां लोगों की जान बचाने के लिए बेहतर प्रयास किए गए।
केंद्र सरकार, जो इस महामारी की पूरी जिम्मेदारी लेती थी, उसने भी राज्यों के अधिकारों को दबाकर, लॉकडाउन को थोपकर और संसाधनों का ठीक से वितरण न करके इस संकट को और बढ़ाया। सबसे गंभीर बात यह है कि 2021 के ये आंकड़े सरकार ने पूरे चार साल बाद जारी किए, जिससे यह साफ होता है कि सरकार ने जानबूझकर सच्चाई को छुपाने की कोशिश की। मीडिया के जरिए हालात को हल्का दिखाया गया और इस तरह सरकार ने, न सिर्फ अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश की, बल्कि उन लाखों परिवारों को मुआवजे से भी वंचित कर दिया, जिन्हें इसका हक था। सरकार ने लगभग ₹10,000 करोड़ बचा लिए, जबकि सबसे ज्यादा नुकसान गरीब और पिछड़े तबकों को हुआ।
एसडीपीआई की राष्ट्रीय महासचिव यासमीन फारूकी ने कहा कि यह न सिर्फ एक प्रशासनिक विफलता है, बल्कि जनता के साथ किया गया विश्वासघात है। उन्होंने मांग की कि इस बड़े अन्याय और सच्चाई को छुपाने की साजिश के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए।
यासमीन फारुकी
राष्ट्रीय महासचिव
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया

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