अमित शाह के सांप्रदायिक बयान पर एसडीपीआई ने की माफी और इस्तीफ़े की मांग

सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) की राष्ट्रीय महासचिव यास्मीन फारूकी ने 1 जून को कोलकाता में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा दिए गए एक बयान की तीव्र निंदा की है। अपने बयान में शाह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर “ऑपरेशन सिंदूर” का विरोध करने का आरोप लगाया और दावा किया कि उन्होंने यह कदम मुस्लिम वोट बैंक को संतुष्ट करने के लिए उठाया।

एसडीपीआई का कहना है कि यह बयान न केवल ममता बनर्जी की छवि को धूमिल करता है, बल्कि भारतीय मुसलमानों को भी देशविरोधी मानसिकता से जोड़ने का एक गंभीर और आधारहीन प्रयास है। इस प्रकार का वक्तव्य भारतीय मुसलमानों की देशभक्ति पर प्रश्नचिह्न लगाता है, जबकि ऐतिहासिक रूप से यह समुदाय भारत की एकता, अखंडता और विविधता में महत्वपूर्ण योगदान देता आया है।

एसडीपीआई ने इस बयान को भारतीय संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक सद्भाव और सामूहिक एकता की भावना के खिलाफ बताया है। पार्टी का कहना है कि “ऑपरेशन सिंदूर” को लेकर मुस्लिम समुदाय की ओर से किसी प्रकार का संगठित विरोध नहीं हुआ है, बल्कि विभिन्न समुदायों ने इसका समर्थन किया है।

यास्मीन फारूकी ने कहा कि श्री शाह का यह बयान भारतीय दंड संहिता की धारा 153A का उल्लंघन प्रतीत होता है, जो विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने को दंडनीय अपराध मानती है। यह बयान भले ही औपचारिक चुनाव अवधि के बाहर दिया गया हो, लेकिन इसकी प्रकृति आदर्श चुनाव आचार संहिता की मूल भावना के विरुद्ध है और यह 2026 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों से पहले एक खतरनाक मिसाल कायम कर सकता है।

एसडीपीआई मांग करती है कि, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को अपने भड़काऊ एवं साम्प्रदायिक बयान के लिए बिना शर्त सार्वजनिक माफ़ी मांगनी चाहिए। उन्हें गृहमंत्री पद से तत्काल इस्तीफा देना चाहिए, क्योंकि इस प्रकार का गैर-जिम्मेदाराना वक्तव्य उस पद की गरिमा के अनुकूल नहीं है। इस गंभीर उल्लंघन के विरुद्ध आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। भारत के चुनाव आयोग को चाहिए कि वह चुनाव से पूर्व दिए जाने वाले बयानों पर कड़ी निगरानी रखे और आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करे।

एसडीपीआई ने आम नागरिकों से भी अपील की है कि वह इस प्रकार की विभाजनकारी एवं साम्प्रदायिक भाषा को स्पष्ट रूप से अस्वीकार करें और भारत के बहुलतावादी समाज की एकता, शांति और सांप्रदायिक सौहार्द की रक्षा करें।