
एसडीपीआई ने 2024 के चुनावी घोटालों की सुप्रीम कोर्ट से जांच की मांग की
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया ने 2024 के हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में सामने आए चुनावी अनियमितताओं के बढ़ते साक्ष्यों पर गहरा आघात और निराशा व्यक्त की है। इन घटनाओं ने हिन्दुस्तान की लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर एक काली छाया डाल दी है। एसडीपीआई उन लाखों नागरिकों के साथ खड़ी है जिनकी आवाज़ें योजनाबद्ध तरीके से दबाई गईं — यह मतदाताओं की इच्छा पर खुलेआम हमला है।
तथ्य स्पष्ट हैं और तत्काल जवाबदेही की मांग करते हैं। हरियाणा में भाजपा ने 90 सदस्यीय विधानसभा में अप्रत्याशित रूप से 48 सीटें जीतीं, जबकि पूर्व सर्वेक्षणों में कांग्रेस को 50 से 60 सीटें मिलने की संभावना जताई गई थी। चौंकाने वाली बात यह रही कि भाजपा ने 22 निर्वाचन क्षेत्रों में 1000 से कम मतों के अंतर से बढ़त पलट दी, जिनमें से 18 में उसने जीत हासिल की। इन नतीजों के बीच “गणितीय रूप से असंभव” मत उलटफेर की रिपोर्टें आईं — जैसा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने “ब्राज़ीलियन मॉडल” का हवाला देते हुए कहा था। इसी तरह, महाराष्ट्र में भाजपा नेतृत्व वाली महायुति ने 288 में से 235 सीटें जीत लीं। खासकर पुणे और नागपुर जैसे भाजपा गढ़ों में मतदाता उपस्थिति में 2 से 3 प्रतिशत की रहस्यमयी वृद्धि दर्ज हुई, जिससे आरटीआई खुलासों के अनुसार 60 से अधिक सीटों पर असर पड़ा। इन क्षेत्रों में फॉर्म 17सी के आंकड़ों और अंतिम मतगणना में 2.1 प्रतिशत से अधिक का अंतर पाया गया, जबकि एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स जैसी स्वतंत्र संस्थाओं के विश्लेषण में 8 प्रतिशत परिणाम “असामान्य” पाए गए।
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा तथ्यों की जांच के नाम पर किए गए स्पष्टीकरणों को “बेसलेस” कहकर खारिज किया गया, जबकि आयोग ने अदालत के आदेशों के बावजूद बूथ स्तर के आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए। यह अपारदर्शिता व्यापक अविश्वास को जन्म दे रही है। जिन सीटों पर विवाद है, वहां पूर्ण वीवीपैट ऑडिट नहीं किया गया, जबकि असंगति दर मात्र 0.001 प्रतिशत बताई गई — यह स्थिति हमारे गणराज्य की नींव को कमजोर करती है।
एसडीपीआई इन चुनावी गड़बड़ियों की कड़ी निंदा करती है, जो मुसलमानों और दलितों सहित हाशिए पर खड़े समुदायों के लिए सीधा खतरा हैं, क्योंकि ऐसे षड्यंत्रों में सबसे पहले इन्हीं के मत प्रभावित होते हैं। पार्टी सुप्रीम कोर्ट से आग्रह करती है कि लंबित जनहित याचिकाओं की शीघ्र सुनवाई कर व्यापक वीवीपैट पुनर्गणना और सोर्स कोड ऑडिट के आदेश दिए जाएं। निर्वाचन आयोग को फॉर्म 17सी के सभी विवरण पारदर्शी रूप से सार्वजनिक करने चाहिए। कार्रवाई में देरी केवल निरंकुश प्रवृत्तियों को प्रोत्साहित करेगी।
हिन्दुस्तान का लोकतंत्र केवल संदेह पर नहीं चल सकता। यह सत्यापन योग्य सत्य पर फलता-फूलता है। एसडीपीआई सभी लोकतांत्रिक शक्तियों से अपील करती है कि इस वोट चोरी के विरुद्ध एकजुट हों और संस्थाओं में जनता का विश्वास पुनर्स्थापित करें।
यासमीन फ़ारूकी
राष्ट्रीय महासचिव
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया
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