सडीपीआई न्यायपालिका के साथ – नफ़रत के ख़िलाफ़ मज़बूती से खड़ी

सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मोहम्मद शफी ने आज सर्वोच्च न्यायालय की कार्यवाही के दौरान हिंदुस्तान के मुख्य न्यायाधीश (CJI) न्यायमूर्ति बी. आर. गवई पर अधिवक्ता राकेश किशोर द्वारा किए गए जूता फेंकने के दुस्साहसी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है। यह घृणित कृत्य कोई आकस्मिक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि दक्षिणपंथी तत्वों द्वारा योजनाबद्ध हमला है, जिसका उद्देश्य हमारी न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर करना और हमारे लोकतंत्र की धर्मनिरपेक्ष बुनियाद को खोखला करना है।

यह घटना उस समय की है जब मुख्य न्यायाधीश ने खजुराहो में भगवान विष्णु की मूर्ति की पुनर्स्थापना की मांग वाली एक निराधार जनहित याचिका को सैद्धांतिक रूप से खारिज किया था। उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधिकार क्षेत्र पर ज़ोर देते हुए सनसनी फैलाने के बजाय कानूनी प्रक्रिया पर भरोसा करने की बात कही थी। सभी धर्मों के प्रति सम्मान के साथ कही गई उनकी हल्की-फुल्की टिप्पणी को दक्षिणपंथी प्रचारकों ने तोड़-मरोड़ कर “न्यायपालिका को हिंदू विरोधी” बताने का षड्यंत्र रचा। ओपइंडिया जैसी वेबसाइटों और तथाकथित “हिंदू आक्रोश” भड़काने वाले कार्यकर्ताओं ने इस झूठे नैरेटिव को हवा दी, जिससे संवैधानिक धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करने वाले न्यायिक अधिकारियों के विरुद्ध हिंसा को सामान्य बनाया जा रहा है। यह प्रवृत्ति अल्पसंख्यकों, असहमतों और बहुसंख्यकवादी राजनीति का विरोध करने वाले संस्थानों पर हो रहे दक्षिणपंथी हमलों के व्यापक पैटर्न का हिस्सा है।

यह हमला कानून के शासन के लिए गंभीर ख़तरा है, जो हिंदुस्तान के संविधान की नींव है। जिस तरह मुख्य न्यायाधीश—जो Z+ सुरक्षा में रहते हैं—को अदालत जैसी पवित्र जगह में भी निशाना बनाया गया, वह यह दर्शाता है कि दक्षिणपंथी ताकतें न्यायपालिका को डराकर अपने अधीन करने की कोशिश कर रही हैं और आगामी चुनावों से पहले धार्मिक ध्रुवीकरण का रास्ता बना रही हैं। यह घटना हमें लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हुए ऐतिहासिक हमलों—आपातकाल से लेकर कर्नाटक जैसे राज्यों में न्यायाधीशों पर भीड़ हिंसा तक—की याद दिलाती है।

एसडीपीआई तत्काल और कठोर कार्रवाई की मांग करती है — इस हमले के पीछे किसी संगठित साज़िश की विस्तृत जांच की जाए, अपराधी को उदाहरणात्मक सज़ा दी जाए और न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सुरक्षा व्यवस्था को और मज़बूत किया जाए। हम सभी धर्मनिरपेक्ष शक्तियों से अपील करते हैं कि इस फासीवादी प्रवृत्ति के खिलाफ एकजुट हों। आइए, हम अपनी न्यायपालिका की रक्षा करें — जो हर नागरिक के लिए, धर्म से परे, न्याय की सबसे बड़ी संरक्षक है।

मोहम्मद शफी
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया