न्याय से वंचित: एसडीपीआई ने कुंभ मेले में मौतों के वास्तविक आंकड़े छिपाने को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की तीव्र निंदा की
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के राष्ट्रीय महासचिव पी. अब्दुल मजीद फैज़ी ने प्रयागराज में 29 जनवरी 2025 को महाकुंभ मेले में हुई भगदड़ में मौतों की संख्या को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा की गई घोर लीपापोती की कड़े शब्दों में निंदा की है। सरकार द्वारा घोषित 37 मृतकों की संख्या बीबीसी हिंदी की साहसिक रिपोर्टिंग में सामने आए कम से कम 82 मौतों के पुष्ट आंकड़ों से पूरी तरह मेल नहीं खाती। यह सच्चाई को दबाने का एक संगठित प्रयास है, जो न केवल पीड़ितों और उनके परिजनों के प्रति अन्याय है, बल्कि लोकतंत्र की पारदर्शिता और जवाबदेही के मूल सिद्धांतों का भी खुला अपमान है।
एसडीपीआई ने राज्य सरकार द्वारा अपनाई गई अपारदर्शी और पक्षपातपूर्ण मुआवजा नीति को भी घोर निंदनीय बताया है। जहां 36 परिवारों को औपचारिक रूप से ₹25 लाख की सहायता दी गई, वहीं 26 अन्य परिवारों को पुलिस अधिकारियों द्वारा केवल ₹5 लाख नकद में सौंपे गए, और उनकी मौतों को सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज तक नहीं किया गया। इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि 19 ऐसे परिवार हैं, जिन्हें अब तक कोई मुआवजा या सरकारी मान्यता नहीं मिली है। यह सब इस बात का प्रमाण है कि सरकार ने साजिशन इस त्रासदी की भयावहता को छिपाने की कोशिश की है, जो पीड़ितों की गरिमा और जनविश्वास दोनों को गहरी ठेस पहुंचाता है।
सरकार के ₹7,500 करोड़ के भारी-भरकम बजट और ‘व्यवस्थित तैयारियों’ के दावे उस समय खोखले साबित हो जाते हैं, जब जमीनी स्तर पर भीड़ नियंत्रण के बुनियादी इंतज़ाम फेल हो जाएं। आम श्रद्धालुओं की सुरक्षा के बजाय वीआईपी व्यवस्था को प्राथमिकता देना सरकार की संवेदनहीनता को उजागर करता है। कुंभ मेले में ऐसी घटनाएं बार-बार घटती रही हैं चाहे वह 1954 की भगदड़ हो जिसमें 300 से 800 लोगों की जान गई या 2013 की त्रासदी जिसमें 42 लोग मारे गए। यह साफ दर्शाता है कि सरकार द्वारा भीड़ नियंत्रण के स्थायी और प्रभावशाली उपाय अब तक नहीं अपनाए गए हैं।
एसडीपीआई सभी पीड़ित परिवारों के साथ पूरी एकजुटता व्यक्त करती है और बीबीसी हिंदी की निर्भीक पत्रकारिता को सलाम करती है, जिसने इस साजिश का पर्दाफाश किया। पार्टी सरकार से मांग करती है कि वह तुरंत इस गंभीर अन्याय पर संज्ञान ले, जिम्मेदारों को जवाबदेह ठहराए और पारदर्शिता व न्याय की बहाली सुनिश्चित करे।

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