एसडीपीआई ने किया विशाल ‘लोकतंत्र सम्मेलन’ का आयोजन

मुजफ्फरनगर, 21 दिसंबर 2021 : सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) की उत्तर प्रदेश राज्य समिति ने रविवार को यहां “उत्तर प्रदेश लोकतंत्र सम्मेलन” विषय पर एक प्रभावशाली विशाल रैली का आयोजन किया। संवैधानिक और लोकतांत्रिक संस्थानों को कमजोर करने के प्रयासों के लिए सत्तारूढ़ दल पर हमला बोलते हुए एसडीपीआई नेतृत्व ने आह्वान किया एसडीपीआई इन नाकाम कोशिशों का डटकर मुकाबला करेगी।

एसडीपीआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष एम.के. फैजी ने लोकतंत्र सम्मेलन में अपने उद्घाटन भाषण में आरएसएस और भाजपा की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि संघ परिवार देश के संविधान और लोकतंत्र को नष्ट कर रहा है। उन्होंने कहा कि एसडीपीआई का लोकतंत्र सम्मेलन देश में लोकतंत्र को ध्वस्त कर निरंकुश शासन स्थापित करने की कोशिशों के खिलाफ होने वाली लंबी लड़ाई की एक मजबूत शुरुआत है। फैजी ने कहा, हम फासीवादी ताकतों को संवैधानिक लोकतंत्र को कमजोर नहीं करने देंगे।

आजादी की लड़ाई के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बलिदानों को याद करते हुए फैजी ने कहा कि हमने इस क्षेत्र को अपने सम्मेलन के लिए इसलिए चुना क्योंकि स्वतंत्रता के पहले युद्ध में इस इलाके के लोगों ने सबसे पहले अंग्रेजों से लोहा लिया था। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना से समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता शब्द को हटाने के लिए एक भाजपा सदस्य द्वारा संसद में एक निजी विधेयक पेश किया गया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि संघ परिवार भारत की विपक्षी पार्टियों को खत्म कर देश में एक पार्टी के शासन को लागू करके देश को फासीवादी राज्य में तब्दील करने का प्रयास कर रहा है।

विपक्षी दलों का हवाला देते हुए एसडीपीआई प्रमुख ने रेखांकित किया कि भाजपा कट्टर हिंदुत्व का अनुसरण कर रही है जबकि विपक्ष नरम हिंदुत्व को अपनाकर इसका मुकाबला करने की कोशिश कर रहा है। केवल एसडीपीआई ही भाजपा से वैचारिक रूप से मुकाबला कर सकता है क्योंकि उसका दर्शन सर्व-समावेशी है और वह सभी कमजोर और पीड़ित वर्ग को भूख और भय से आजादी दिलाना चाहती है। “पार्टी की सोच इन दो महत्वपूर्ण नारों के इर्द-गिर्द घूमती है: भूख से आजादी, डर से आजादी, एसडीपीआई दबे कुचले, शोषित, वंचित और असहाय वर्ग की पार्टी है।”

एसडीपीआई पूरे देश में मुसलमानों, दलितों, शोषितों, गरीबों, किसानों और मजदूरों के लिए काम करती है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के “हिंदू सरकार” के निर्माण की आलोचना करते हुए उन्होंने पूछा कि ऐसी सरकार में मुसलमानों, दलितों और आदिवासियों का क्या स्थान होगा?

विशिष्ट अतिथि हजरत मौलाना खलील-उर-रहमान सज्जाद नोमानी ने कहा कि एसडीपीआई देश के लोकतंत्र और संविधान को कमजोर करने के किसी भी प्रयास को सफल नहीं होने देगी। बकौल मौलाना सज्जाद नोमानी, एसडीपीआई एक ऐसी पार्टी है जो सिर्फ मुसलमानों की नहीं बल्कि सभी पिछड़े और पीड़ित वर्गों की वकालत करती है। मौलाना सज्जाद नोमानी ने कहा, “मुझे देश-विदेश के हजारों लोगों से पचास से अधिक वर्षों से बात करने का अवसर मिलता रहा है, लेकिन आज मैं दिल से कह सकता हूं कि इस भी मंच पर हर जगह कितना रूहानी सुकून है।” ऐसा एहसास हमेशा नहीं हुआ है क्योंकि आज एक जीवंत, साहसी और सच्चे राजनीतिक दल एसडीपीआई के मंच पर बहादुर कार्यकर्ताओं के दरमियान अपनी बात रखने में बेहद खुशी महसूस हो रही है। मौलाना सज्जाद नोमानी ने कहा, जहां तक ​​राजनीतिक दलों का सवाल है, मैं आज तक किसी बैठक में शामिल नहीं हुआ हूं। लेकिन पहली बार मैं एसडीपीआई की बैठक में शामिल हो रहा हूं।

कई उदाहरणों का उल्लेख करते हुए, खासकर मेवात में बिल्डर आसिफ की हत्या के आरोपी को दबाव में छोड़ने के लिए, एसडीपीआई के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एडवोकेट शरफुद्दीन अहमद ने कहा कि भाजपा के सत्ता में आने के बाद से देश में कानून का शासन खत्म हो गया है। एसडीपीआई चाहती है की देश में कानून का शासन हो और संविधान का सख्ती से पालन किया जाए। उन्होंने आगे कहा कि हालांकि लोकतंत्र समानता पर आधारित है; उच्च वर्गों ने सत्ता और अर्थव्यवस्था पर एकाधिकार कर लिया है, जिनकी जाति-ग्रस्त समाज में संख्या बहुत कम है, क्योंकि वे सुव्यवस्थित हैं। यह दावा करते हुए कि देश की जाति-आधारित सामाजिक व्यवस्था में मुसलमान एक सामाजिक इकाई के रूप में वास्तविक रूप से बहुमत में हैं, उन्होंने मुसलमानों से एकजुट रहने का आग्रह किया। उन्होंने कहा हालांकि मुसलमानों के बिखराव ने उन्हें राजनीतिक हाशिये पर धकेल दिया है। उन्होंने कहा, “हमें अपनी आने वाली पीढ़ियों को ध्यान में रखते हुए देश में सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन के लिए दृढ़ प्रयास करना चाहिए।”

एसडीपीआई के एक अन्य राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, मुहम्मद शफी ने कहा कि पार्टी उत्पीड़न के खिलाफ एक प्रभावी आवाज है। मॉब लिंचिंग का उदाहरण देते हुए उन्होंने आग्रह किया कि हमें मॉब लिंचिंग के वीडियो वायरल करने से बचना चाहिए क्योंकि इनका उद्देश्य मुसलमानों में डर पैदा करना है। उन्होंने कहा कि दलितों को मुसलमानों से ज्यादा भीड़ के हमलों का सामना करना पड़ रहा है। मुहम्मद शफी ने कहा कि एसडीपीआई सी.ए.ए. को निरस्त कराने के लिए संघर्ष करता रहेगा।

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बी.एम. कांबले ने अपने भाषण में कहा कि मुसलमान के संबंध दलितों और समाज के निचले तबके के लोगों के बहुत दोस्ताना हैं. जब कांग्रेस ने डॉ अंबेडकर को मुंबई में हराया था, तो भारत के मुसलमान ही बाबा साहब को संविधान सभा में लेकर आए थे। यदि डॉ अम्बेडकर संविधान सभा के सदस्य नहीं होते, तो हमारे पास वर्तमान संविधान नहीं होता, जिससे संघ परिवार डरता है और निरस्त करना चाहता है।

एसडीपीआई की राष्ट्रीय महासचिव सुश्री यास्मीन फारूकी ने कहा कि मुसलमानों को अपने जहन से डर बाहर निकाल कर अपनी आवाज बुलंद करके लोगों की समस्याओं को हल करने के लिए संघर्ष करने की जरूरत है।

राष्ट्रीय महासचिव सीताराम कोहीवाल ने अपने भाषण में डॉ बी.आर. अंबेडकर के संदेश का हवाला देते हुए कहा, “देश का संविधान कितना भी अच्छा लिखा जाए, यदि देश चलाने वाले अच्छे नहीं होंगे तो कोई बदलाव नहीं आएगा और अगर संविधान अच्छा नहीं अच्छा लिखा जाए लेकिन देश की सरकार अच्छी है तो देश सफलता की सीढ़ी चढ़ेगा।”

इससे पहले एसडीपीआई उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष डॉ निजामुद्दीन खान ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि एसडीपीआई उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ काम कर रहा है. सम्मेलन की कार्यवाही का संचालन डॉ. आई.ए.खान ने किया और धन्यवाद ज्ञापन एसडीपीआई के राज्य सचिव अब्दुल मोईद हाशमी, सरदार गुरुजंत सिंह, भारतीय दलित समाज मोर्चा पंजाब, एसडीपीआई के राष्ट्रीय सचिव अल्फोंसो फ्रेंको, राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्य सदाशिव त्रिपाठी, साहिर अब्बास ने किया। मुफ्ती खालिद शेख, जितेंद्र प्रसाद नईम, एसडीपीआई पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष मुहम्मद कामिल और अन्य ने भी सभा को संबोधित किया। एसडीपीआई पश्चिम उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष महिंद्रा सिंह, महासचिव शोएब हसन, सचिव नूर हसन, इमरान तोमर, मौलाना कमर मजहारी, एसडीपीआई मध्य यूपी के उपाध्यक्ष हारून साहिल, महासचिव मुहम्मद सलीम, सचिव डॉ फखर आलम सहित एसडीपीआई मुजफ्फरनगर जिलाध्यक्ष शकील और हजारों कार्यकर्ताओं के अलावा महिलाओं ने भी इस सम्मेलन में बड़ी तादाद में शिरकत की।