उठ खड़े हो भारत के हत्यारे भीड़तंत्र के खिलाफ रैली में उमड़ा जनसैलाब
घरों से निकलो बाहर, इससे पहले कि भीड़ पहुंचे आपके घरों तक- एसडीपीआई

कोटा दिनांक 23 अगस्त 2017 सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इण्डिया की ओर से राष्ट्रीय अभियान उठ खड़े हो भारत के हत्यारे भीड़तंत्र के खिलाफ के तहत आयोजित विशाल रैली मल्टीपरपज स्कूल से शुरू होकर सब्जीमण्डी, गीता भवन, सरोवर टॉकिज रोड, नयापुरा होते हुए जिला कलेक्ट्रेट कोटा पर सभा में तब्दील हुई तथा अन्त में महामहिम राष्ट्रपति महोदय के नाम जिला कलेक्टर महोदय को ज्ञापन दिया गया।
प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद रिजवान खान ने कहा कि अभारतीयकरण की सरकारी प्रक्रिया के कारण लम्बी जद्दोजेहद से हासिल हुई संवैधानिक व्यवस्था आज खतरे मे है । झूठे और बेबुनियाद इल्जामात को लव जिहाद, गौकशी, आबादी बढ़ोतरी ,तुष्टिकरण ,देशद्रोह आदि नाम दे कर कुप्रचार द्वारा नफरत और दुश्मनी की दूषित मानसिकता ने ऐसे योजनाबद्ध गिरोहों को खड़ा कर दिया है जो त्वरित , सामूहिक और लक्षित हिंसा  का रास्ता अपना कर बेगुनाह एवं असहाय लोगो को धर्म व जाति के आधार पर पीट-पीट कर मार रहे हैं।
एसडीपीआई प्रदेश उपाध्यक्ष सीताराम खोईवाल ने कहा कि पन्द्रह साल के हाफिज जुनैद के अलावा अय्यूब ,विकास ,गौतम ,गणेश तथा बुजुर्ग पहलू खान व जफर खान आदि की मौतें ऐसी ताजा वारदातें हैं । हिंसा पीड़ितों पर ही मुकदमा लगाना और हमलावरों की पुश्तपनाही जगजाहिर है । समुदाय विशेष के औरतों, बच्चों एवं बुजुर्गों पर भी हमले हो रहे है और मुसलमानों, दलितों, आदिवासियों, ईसाईयों,सिखों और अन्य कमजोर वर्गों मे खौफ फैला कर नकली बहुसंख्यकवाद को थोपा जा रहा है । सरकारी एजेंसियां तो पिंजरे का तोता हो गई हैं । मदरसे पहला निशाना हैं और शिक्षा व संस्थानों के सामाजिक, वैज्ञानिक एवं ऐतिहासिक किरदार को खत्म करने की तरकीबें निकाल कर भगवाकरण किया जा रहा है ।
पॉपुलर फ्रन्ट के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद आसिफ ने कहा कि सरकारी फैसलों मे जातिगत एवं साम्प्रदायिक पछपात साफतौर से परलक्षित हो रहा है । संवैधानिक पदों की गरिमा गिराई जा रही है और विधायिका एवं प्रशासनिक तंत्र की महत्वा सीमित हो रही है। संसदीय प्रणाली, संघवाद एवं विभिन्नता  मे एकता के सिद्धांतों मे ग्रहण लग गया है। मानवीय तथा मूलभूत अधिकारों को नाकारा जा रहा है । झूठा इतिहास गढ़ा  जा रहा है और देश के खूबसूरत ताने बाने को मिटाने की तैयारी कर ली गई है। असहमति, सरकार की आलोचना और अभिव्यक्ति की आजादी को देशद्रोह कहा जा रहा है । राजनैतिक दलों की प्रतिबद्धता मे कमी व कार्यप्रणाली मे संशय की वजह  से संघी विचारधारा को आसान बरतरी हासिल हो गई है और संविधान के मूल ढांचे पर सवालिया निशान लगा कर लोकतंत्र पर चौतरफा प्रहार जारी है ।
जिलाध्यक्ष जफर चिश्ती ने कहा कि एस डी पी आई  ने उक्त पृष्ठ्भूमि मे संविधान  को बचाने, न्याय व बराबरी एवं शांति व सुरक्षा को बनाये रखने के अपने अनवरत प्रयासों के अंतर्गत (1 अगस्त  से 25 अगस्त ) जनआंदोलन की एक कड़ी के तौर पर दिन शुक्रवार दिनांक 25 अगस्त को दोपहर 2ः30 बजे बाद जुमा अपने अपने इलाको और मोहल्लें में घर से निकलो बाहर के नारे के तहत विरोध प्रदर्शन करना है। । सभी इन्साफपरस्त व अमनपसंद नागरिको व संगठनो से सहयोग की प्राथना है तथा आप से अपील है कि अपने अपने घरों के बाहर एक साथ खड़े हो कर या निर्धारित स्थान मे मानव श्रृंखला बना कर अपनी बांह पर काली पट्टी बांध कर या प्लेकार्ड ले कर इस कार्यक्रम मे शामिल हो कर अपने प्रतिरोध का मूक प्रदर्शन कर भारत मे सामाजिक प्रजातंत्र, धर्म निरपेक्षता,  बराबरी, इंसाफ व संवैधानिक मान्यताओं को मजबूत बनाने मे अपेक्षित भूमिका निभाइये।
अन्त में जिला महासचिव नावेद अख्तर ने महामहिम राष्ट्रपति महोदय के नाम ज्ञापन पढकर सुनाया और हजारों की तादाद में मौजुद आमजन व प्रशासन का शुक्रिया अदा किया।
इस मौके पर कांग्रेस अल्पसंख्यक आयोग के जिलाध्यक्ष अब्दुल करीम खान, समाजसेवी विजय पालीवाल, वरिष्ठ एडवोकेट मोहनलाल राव, राष्ट्रीय प्रताप फाउण्डेशन के अध्यक्ष राजेन्द्र सुमन ने भी संबोधित किया।
रैली में एसडीपीआई के प्रदेश महासचिव अशफाक हुसैन, मोहम्मद हनीफ, जफर अहमद अमीन, सहित जिला कार्यकारिणा व ऑटो यूनियन के अध्यक्ष अनीस राईन, समाजसेवी राजाराम कर्मयोगी, जंगलीशाह बाबा के सदर अब्दुल अजीज जावा, मुस्लिम महासभा के जिलाध्यक्ष सोनू अब्बासी, पूर्व सदर कुरैशी समाज शाहिद कुरैशी, घोसियान कमेटी के सदर साबिर घोसी, नायब सदर अनवर घोसी, तहरीक ए उर्दू के को कन्वीनर इन्जि. जाकिर हुसैन, रोटेरियन रफीक बेयलिम, अलमदद सोसायटी के नूर अहमद अब्बू, जमीयतुल राईन सोसायटी के सचिव मुजफ्फर राईन, मुस्लिम नौजवान कमेटी के समीउल्लाह अंसारी, अब्बासी समाज के निजाम भाई सहित कई संगठनो, समाजों के पदाधिकारी, समाजसेवी व हजारो की तादाद में युवा, महिला, बुजुर्ग मौजुद थे जो तख्तिया व झण्डे लेकर व नारेबाजी करते हुए चल रहे थे।